हरियाणा

2100 महिलाओं की कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ दिव्य गीता सत्संग महोत्सव

सत्यखबर सफीदों (महाबीर मित्तल) – राष्ट्रीय कीर्ति आह्वान समिति एवं श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को नगर की पुरानी अनाज मंडी में दिव्य गीता सत्संग महोत्सव का शुभारंभ हुआ। नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर से 2100 महिलाएं मंगल कलश लेकर नगर के मुख्य मार्गों व बाजारों से होते हुए आयोजन स्थल पर पहुंची। कलश यात्रा के आगे-आगे गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज, हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य एडवोकेट विजयपाल सिंह व हरियाणा गौसेवा आयोग के सदस्य श्रवण गर्ग श्रीमद् भागवत गीता को मस्तक पर धारण करके चल रहे थे।

इस मौके पूर्व मंत्री एवं विधायक विनोद भयाना, कर्मचारी चयन आयोग के सदस्य अमरनाथ सौदा व भोपाल सिंह तथा पानीपत के वरिष्ठ समाजसेवी नितिसेन भाटिया विशेष रूप से उपस्थित थे। रास्ते भर में भक्तिमय संगीत पर श्रद्धालुगण नाच रहे थे तथा नगर के गण्यमान्य लोग भगवा पगड़ी धारण करके कलश यात्रा के साथ चल रहे थे। वहीं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारतभूषण भारती ने जिओ गीता प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। अपने आशीर्वचन में स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत गीता केवल ग्रंथ नहीं बल्कि भगवान के श्रीमुख से निसरित वाणी है।

श्रीमद् भागवद गीता युगों-युगों से मानव जाति को जीवन जीने की कला सीखा रही है। कुरुक्षेत्र की इस पावन धरा पर प्रकट हुई गीता समूचे मानव जाति के लिए दिव्यता प्रदान कर रही है और मानव मात्र को दुखों व ङ्क्षचताओं से मुक्त होकर आनंदमय जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त कर रही है। गीता का एक भी शब्द ऐसा नहीं जिसपर प्रश्र ङ्क्षचह्न लगाया जा सके और यह दिव्य उपदेश किसी तंग सोच या संकीर्णता को नहीं दर्शाता बल्कि धर्मनिरपेक्षता का साक्षात नमूना है।

गीता सार्वभौमिक, सर्वजातिक व पूरे विश्व के मानव कल्याण का वह पावन ग्रंथ है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने एक उदार प्रेरणा के लिए अलौकिक गीत के रूप में प्रकट किया। उन्होंने कहा कि सत्संग के साथ-साथ सेवा भाव भी जरूरी है। श्रीमद् भागवत गीता मानव को जीवन जीने की कला एवं जीव मात्र से प्रेम करना सिखाती है। इसके पठन व श्रवण करने से मनुष्य बार-बार जन्ममरन के बंधन से मुक्त हो जाता है।

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